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रामजनम नगर में जुगाड़ू क्रिकेट का मजा |
अमर सोरेन, जमशेदपुर : फेसबुक पर बुधवार की सुबह 'नेट-फ्रेंड' रश्मि शर्मा की पोस्ट पढ़ी...। लिखा था,
...एक तमन्ना हुई पूरी, तो दूसरी आरजू मचल गई। मना ली हमने ढेरों खुशियां, अब परसों का अंजाम सोच, सांसें ठहर गईं....।। संदर्भ क्रिकेट वर्ल्ड कप से था, सो आइडिया क्लिक कर गया। सोचा क्यों न आज क्रिकेट के बुखार से तप कर ताजा-ताजा ठंडे हुए शहर का मूड टटोला जाए। ढाई बज रहे होंगे, शहर का मिजाज 37 डिग्री तक गर्माया हुआ था। गर्म माहौल में ठंडी छांव का मजा ले रहे फटफटिया को बहुत मूड तो नहीं था सड़क की खाक छानने का, लेकिन बेमन से ही सही जोड़ी निकल पड़ी। बोहनी मिश्रा जी ने कर दी। मित्र हैं, बोले साथ साकची तक छोड़ दो। धूप की दुश्मनी झेलने के लिए साथी मिल गया सो फटफटी पर बोझ बढ़ाते हुए साथ हो लिए। अभी ऑफिस से मानगो पुल की तरफ बढ़े ही थे कि सड़क की थमी रफ्तार देख मुए क्रिकेट की कमी खलने लगी। पहली बार क्रिकेट के लिए दिल से मन्नत मांगी, दिल-जिगर से आवाज निकली...काश भारत-पाक क्रिकेट मैच रोज हुआ करे....। कम से कम सड़क तो जाम से फ्री रहेगी। पीछे बैठे मिश्रा जी ने रोज-रोज के मैच वाला 'ट्रैफिक-मंत्राÓ सुन थोड़ी मुस्कराहट की मेहरबानी चिपका कर टॉपिक चेंज कर दिया। बड़ी मशक्कत के बाद पुल पार लगा। अब बारी शहर का मूड जानने की थी। इसलिए पहले फटफटी को मिश्रा जी की 'लिफ्टÓ से फ्री किया और लग गए अपने टोका-टोकी अभियान में। पहला पड़ाव बना पुराना कोर्ट के सामने खुला जूस दुकान। मौसम के मिजाज को देख यहां मजमा पहले से लगा था। जूस का आर्डर दे कर मजमे में खुद को भी शामिल कर लिया। सरकारी विभाग के कुछ कर्मचारी मंडली जमाए बैठे, जूस वाले की आंख की किरकिरी बन गए थे। शायद घंटे भर से उनकी मंडली वहीं जमी थी, सो जूस वाला चलता करने के मूड में दिखा। यहां भारत-पाक क्रिकेट मैच 'सीजन-टूÓ चल रहा था। सचिन के इतिहास, भुगोल और भविष्य का यहां पोस्टमार्टम किया जा रहा था। धौनी के भाग्य पर हाय-तौबा की। देवड़ी मंदिर की महिमा का फल माही पर बरसने का जोड़-घटाव तक कर डाला। मैच का ऑफ-द-ग्र्राउंड 'सीजन-टूÓ मैच में दनादन चौके-छक्के देख नंदू जूस वाले से रहा न गया और ग्र्रैग-चैबल की तरह फूहड़ जानकारियों का बाउंसर दे-दनादन शुरू कर दिया। नंदी जूसवाले ने कहा-धौनी किस्मत का सां.... है। जिसे छू ले सोना बना दे। यहां (कीनन) आता था तो कोइ पूछता नही था, अब देखिए। नंदी ने इतने पर दम न लिया, और भारत-पाक मैच की हाइलाइट-कमेंट्री में प्रस्तुत कर दी। कमेंट्री बंद करते-करते बोले दिल का फाइनल तो हम जीत गए, अब विश्व का कप जीतने की बारी है। यहां माहौल धीरे-धीरे ठंडा हुआ तो रुख किया डीसी ऑफिस का। सोचा, शायद यहां भी मैन-इन ब्लू ही चर्चे में हों। चपरासियों में चर्चा थी भी, लेकिन साहबों का पसीना तो आज रामजनम नगर ने छुड़ाया हुआ था। डीसी मैडम क्रिकेट अपडेट की तरह रामजनम नगर का अपडेट ले रहीं थीं, तो वही एडीएम साहब फिल्ड से डीसी ऑफिस दौड़ लगा रहे थे। माहौल अनुकूल न देख आगे बढ़ गया। अब बारी थी फेमस चचा चाय (राजेंद्र विद्यालय के सामने) दुकान की। आम दिनों के मुकाबले आज यहां भीड़ कम थी। लेकिन यहां भी पाकिस्तान को हराने के दौरान उबला ब्लू-ब्लीड अब तक ठंडा न पड़ा था। यहां भी रनिंग कमेंट्री लाइव थी। कल जिन्होंने मैच मिस किया, वैसे मिस तो किसी ने नहीं किया वे भी रिपीट टेलिकास्ट यहां रिकवर कर सकते थे। स्टील सिटी आज स्पोट्र्स सिटी बनी नजर आ रही थी। चचा चाय दुकान वाले ने पहुंचते-पहुंचते सबसे पहले बधाई दी। कहा, पाक को हरा दिया हमने, मजा आ गया। समझ गया कि अब चचा भी कमेंट्री की लंबी टॉनिक देने वाले हैैं, लेकिन समझते-बूझते इमोशन का सम्मान करते हुए सुनने बैठ गए। वैसे तो चचा को चाय में पानी मिलाने और अंगीठी से धुकधुकाने से फुर्सत कम ही मिलती थी, लेकिन आज चचा भी फॉर्म में नजर आए। ठोंक दिया क्रिकेट नॉलेज का चौका-छक्का। आज तो चचा के सामने भोगले फेल लग रहे थे। पाकिस्तान के 11 खिलाड़ी को चचा नाम से पहचान रहे थे। और तो और युवराज के क्रिकेट डायरी का हिसाब भी बता रहे थे। चौंका...लगा कि क्रिकेट के तो सब जानकार हैैं। गलत नहीं कि यहां धर्म बन गया है क्रिकेट। यहां चचा के चाय की चुस्की लेते क्रिकेट की टॉनिक ली तो सोचा हाइ-फाइ लोगों से हालचाल लिया जाए। चला भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के घर। घर जाने के क्रम में जेसे ही बिष्टुपुर गोलचक्कर पहुंचा, रीगल बिल्डिंग पर लगा धौनी का पोस्टर चहक उठा। तस्वीर में बैट उठाए धौनी का पोस्टर या तो आज कुछ ज्यादा ही चमक रहा था, या फिर आंखे चौंधिया गई थी। बहरहाल रीगल चौक पर धौनी ने स्वागत किया। आगे बढऩे से पहले सोचा कि शीतल छाया में ठंडे पेय का आनंद उठाते हुए लोगों के उमड़ते-घुमड़ते विचार सुने जाए। यहां भी सीन क्रिकेटिया ही था। कल का रोमांच आज तक यहां सिर पर नाच रहा था। लोग पी तो रहे थे मिक्स ठंडा, लेकिन नशे में थे क्रिकेट के। जिसे देखो वही क्रिकेट की धुन रमता दिखा। यहां से दिनेशानंद जी के घर की और बढ़ा तो देखा वीमेंस कालेज के ठीक सामने बड़ा सा तिरंगा शान से लहरा रहा था, मानो बार-बार जीत का इशारा कर रहा हो। खैर आगे बढ़ा, दिनेशानंदजी घर पर थे नहीं सो वापस हो लिया। सोचा रामजनमनगर का हाल देख लिया जाए। दोपहर में ही इस बस्ती को उजाड़ दिया गया था। अत्किमण के कारण। यहां नजारा दुखद था। पाकिस्तान के जीत की खुशी यहां काफूर नजर आई। लोग घर टूटने से बिखरा अपना तिनका-तिनका चुनने में मशगूल दिखे, लेकिन क्रिकेट का फीवर यहां भी पीछा कहां छोडऩे वाला था। बच्चों को क्या मतलब कि घर उजड़ा या संसार छूटा, उन्हें तो बस इतना मालूम था कि पाकिस्तान को हरा कर इंडिया फाइनल पहुंचा था, सो हाथ में लकड़ी के पïट्टे से बना जुगाड़ू बैट और इंट के ढेर जुटा कर बनाया गया जुगाड़ू विकेट पर खेल चालू था। बॉलिंग हो रही थी, बैटिंग हो रही थी और पूरे जो के साथ अपील भी हो रही थी। बच्चों की यह मासूम अपील रामजनमनगर के सन्नाटे को कई बार चीर देती। बेबसी समेटे रामजनमनगर के लोग बच्चों के जुगाड़ू क्रिकेट को देख दिल हल्का कर लेते....। रामजनम नगर के इस नजारे ने साफ कर दिया कि लोहे के इस शहर में लोहे का जिगर रख्रने वाले लोग आशियाना टूटने के बावजूद क्रिकेट के जोश को दरकिनार नहीं कर पा रहे थे। लब्बोलुवाब यह कि पाक फतह करने के बाद जमशेदपुर पूरी तरह क्रिकेटपुर बना नजर आया....।