भादो माझी, जमशेदपुर दूरदर्शन के स्पेक्ट्रम पर भी चल सकता है इंटरनेट। जी हां, सुनने में भले यह तकनीक अजीब लगे, लेकिन जमशेदपुर शहर के रणवीर चंद्रा तिवारी ने यह तकनीक विकसित कर ली है। वाइ-फाइ की तर्ज पर इस तकनीक से दूरदर्शन प्रसारित करने वाले स्पेक्ट्रम से ही गांव-गांव में इंटरनेट चलाया जा सकता है। रेडमंड-वाशिंगटन स्थित माइक्रोसॉफ्ट हेटक्वार्टर में रिसर्चर काम कर रहे शहर के इस युवा ने वर्षों रिसर्च करने के बाद इस तकनीक को विकसित किया है, जिसे अब अमेरिका के फेडरल कम्यूनिकेशन कमीशन (एफसीसी) ने मान्यता भी दे दी है। रणवीर की रिसर्च पर आधारित तकनीक को मान्यता देने के उपरांत अब अमेरिका में टेलीविजन चैनल्स प्रसारित करने वाले स्पेक्ट्रम पर इंटरनेट सर्विस दे दी गई है। यानी टीवी के लिए जिस स्पेक्ट्रम पर ब्रोडकास्टिंग होती है उसी स्पेक्ट्रम पर इंटरनेट डेटाबेस भी उपलब्ध कराया जा रहा है। चंद्रा अब भारत में इस तकनीक को लांच करने की तैयारी में है। क्या है तकनीक : रणवीर चंद्रा ने इंटरनेट के वाइ-फाइ सिस्टम की तर्ज पर एक नया इंटरनेट डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम तैयार किया है, जिसकी मदद से पुराने टेलीविजन चैनल, मसलन दूरदर्शन उपलब्ध कराने वाले स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर वायरलेस इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराया जा सकता है। सरल भाषा में कहा जाए तो जैसे आपके ऑफिस या कॉलेज में अगर वाइ-फाइ सिस्टम लगाया गया है तो आपका लैपटॉप बिना किसी इंटरनेट कनेक्शन (डेटा कार्ड अथवा ब्राडबैैंड कनेक्शन) के ही इंटरनेट ऑपरेट करने की सुविधा देता है, बिल्कुल वैसी ही तकनीक रणवीर ने विकसित की है जो वाइ-फाइ से ज्यादा रेंज पर बिना तार व बिना डेटाकार्ड के आपके लैपटॉप पर इंटरनेट डेटा उपलब्ध कराएगी। वाइ-फाइ की तर्ज पर काम करने वाली यह तकनीक टीवी स्पेक्ट्रम पर चलेगी। टीवी स्पेक्ट्रम से क्या लेना-देना :- दरअसल वर्षों पहले जब दूरदर्शन शुरू किया गया था तब इसे प्रसारित करने वाले स्पेक्ट्रम पर सिर्फ एक ही बैैंड (दूरदर्शन) उपलब्ध कराया गया, यानी दूरदर्शन का सिग्नल भेजने वाले स्पेक्ट्रम का सिर्फ एक बैैंड (चैनल) व्यस्त हुआ। बाकी चैनल खाली रहे, जिसे तकनीकी भाषा में व्हाइट स्पेस कहा जाता है। दूरदर्शन उपलब्ध कराने वाले उस पुराने अल्ट्रा हाइ फ्रिक्वेंसी (यूएचएफ) एनालोग टीवी के बाकी स्पेक्ट्रम (व्हाइट स्पेस) जो खाली रहे, उनका उपयोग अब रणवीर इंटरनेट सिग्नल्स (डेटाबेस) भेजने के लिए करने की तकनीकी विकसित कर चुके हैैं। क्या होगा लाभ :- रणवीर की यह खोज, जिसे ‘व्हाइट-फाइ’ कहा जा रहा है, उससे उन सुदूर गांवों तक वायरलेस इंटरनेट सुविधा पहुंच जाएगी जहां दूरदर्शन आता है। रणवीर कहते हैैं-‘मैंने इस कंप्यूटर नेटवर्क डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम पर इसी लक्ष्य के साथ काम किया कि इससे गांव-गांव के लोगों तक इंटरनेट की सुविधा पहुंच पाएगी।’ अमेरिका एफसीसी ने दी मान्यता :- रणवीर की इस तकनीक को अमेरिका के फेडरल कम्यूनिकेशन कमीशन (एफसीसी) ने मान्यता दे दी है। माइक्रोसोफ्ट के रेडमंड वाशिंगटन स्थित रिसर्च लैब का दौरा कर एफसीसी के चेयरमैन जूलियस जेनाचोवस्की ने इस तकनीक को हरी झंडी दी। इसके बाद गूगल, माइक्रोसोफ्ट समेत कई बड़ी कंपनियों की अपील पर अमेरिकी में स्पेक्ट्रम व्हाइट-स्पेस (अनयूज्ड टीवी स्पेक्ट्रम) को इंटरनेट के लिए उपयोग करने का रूल पास हुआ। एफसीसी ने रणवीर की इस संचार क्रांति को 21 सेंचुरी रूरल अमेरिकी ब्राडबैैंड का नाम दिया है। भारत से रणवीर को है उम्मीदें :-दुर्गा पूजा के मौके पर जमशेदपुर के मानगो डिमना रोड स्थित ग्रीनअर्थ कॉलोनी में अपने माता-पिता से मिलने पहुंचे रणवीर कहते हैैं-‘अमेरिका ने इस तकनीक को ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए शुरू कर दिया है, उम्मीद है कि भारत भी इस तकनीक को अपनाएगा।’ पिछले दिनों भारत सरकार के आइटी विभाग के सचिवों ने भी माइक्रोसॉफ्ट के रिसर्च विंग का दौरा कर इस तकनीकी के ताजा अपडेट लिए थे, लेकिन रणवीर कहते हैैं कि तकनीक को समझने के बाद ही भारत सरकार इस मामले में आगे बढ़ सकती है। बिहार के मुख्यमंत्री ने दिखाई दिलचस्पी :- रणवीर चंद्रा की इस ‘व्हाइट-फाइ’ तकनीक से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी खासे प्रभावित हैैं। उन्होंने रणवीर चंद्रा की इस तकनीक के संबंध में पूर्ण जानकारी लेने के लिए विभागीय सचिवों का दल अमेरिका भेजने के निर्देश भी दे दिए हैैं। अगर सचिवों ने माइक्रोसॉफ्ट का दौरा कर सकारात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत किया तो संभव है कि बिहार से इस बाबत शुरूआत हो जाए। इसके लिए रणवीर लगातार नीतीश कुमार (मुख्यमंत्री) संग पत्राचार (ई-मेल पर) कर रहे हैैं। रणवीर ने झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से भी इस बाबत संपर्क करने की रणनीति बनाई है।
No comments:
Post a Comment