Sunday, December 20, 2009

jamshedpur


hi, i m bhado majhi (amar dip soren). journalist (DAINIK JAGRAN). from - Telco cross road -20, qrt. no-37. (sarjamdah-nidir tola, ps - parsudih, jamshedpur

Friday, November 27, 2009

xlri summer placement 09, we changed the track

ट्रैक पर आई कंपनियां, नौकरियों की बौछार


-एक्सएलआरआई में समर इंटर्नशिप प्लेसमेंट में मंदी को मिली मात

-बैच साइज 120 से 240 होने के बावजूद शत प्रतिशत प्लेसमेंट

-240 छात्रों के लिए देश-विदेश की कंपनियों ने दिये 273 आफर

-नोवर्टिस इंटरनेशनल ने दिया पांच लाख का उच्चतम पैकेज

-पिछले साल की 74 कंपनियों के मुकाबले इस बार 81 कंपनियां पहुंची

-मंदी से उबरने के बाद 08 के मुकाबले 27.6 प्रतिशत ज्यादा आफर मिले


-कारपोरेट सेक्टर ने संभलने के दिये संकेत, पैकेज में 4.7 प्रतिशत की वृद्धि

-आईआईएम की तर्ज पर पीएमआईआर के 120 छात्रों का प्लेसमेंट पांच दिनों में

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भादो माझी, जमशेदपुर : मंदी से उबरने के बाद कारपोरेट कंपनियां एक बार फिर ट्रैक पर वापस आ चुकी हैं। साल भर पहले तक जो कंपनियां मोटी तनख्वाह वाले 'साहबों' को बाहर का रास्ता दिखाने को मजबूर थीं, अब वे ही कंपनियां बिजनेस स्कूलों में नौकरियों की बौछार कर रहीं हैं।

शहर में स्थित विश्वस्तरीय प्रबंधन संस्थान (मैनेजमेंट स्कूल) जेवियर लेबर रिलेशंस इंस्टीट्यूट (एक्सएलआरआई) में समर इंटर्नशिप प्लेसमेंट (एसआईपी) सीजन के दौरान देश-विदेश की बड़ी कंपनियों ने कुछ इसी अंदाज में नौकरियों की बौछार की। आलम यह रहा कि एक्सएलआरआई संस्थान परिसर में पिछले तीन हफ्ते से चल रहे समर इंटर्नशिप प्लेसमेंट में छात्रों को खूब नौकरियां आफर की गईं। संस्थान के कुल 240 छात्रों के लिए देश विदेश की जानी-मानी 81 कारपोरेट कंपनियों ने 273 नौकरियों के आफर दिये। वह भी मोटी तनख्वाह वाले। इस बार सबसे तगड़ी तनख्वाह के मामले में भी संस्थान के छात्रों की बल्ले-बल्ले रही। नोवार्टिस-इंटरनेशनल द्वारा सबसे बड़ा पांच लाख का पैकेज (स्टाइपेंड) दो छात्रों को दिया गया। दोनों को कंपनी के ग्लोबल हेडक्वार्टर में महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया गया है। इस साल का औसत पैकेज 89 हजार रुपये रहा।

शुक्रवार को समर इंटर्नशिप प्लेसमेंट के संबंध में जानकारी देते हुए एक्सएलआरआई प्लेसमेंट सेल के सचिव तुषार वाडेकर ने बताया कि पर्सनल मैनेजमेंट एंड इंडस्ट्रीयल रिलेशंस (पीएमआईआर) की बैच साइज बढ़ाने (60 से 120 किये जाने) के बावजूद इस बार संस्थान में 100 प्रतिशत प्लेसमेंट हुआ। बैच साइज बड़ा होने का कोई प्रभाव प्लेसमेंट पर नहीं पड़ा। उन्होंने बताया कि कंपनियों ने छात्रों के लिए कुल 273 आफर दिये जो पिछले वर्ष के मुकाबले 27.6 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने बताया कि छात्रों को इस वर्ष का मिला औसत पैकेज (89,000) भी पिछले वर्ष की तुलना में 4.7 प्रतिशत अधिक है। तुषार व मीडिया सेल की गायत्री कृष्णन ने बताया कि इस बार संस्थान के पीएमआईआई के 120 छात्रों को पांच दिनों के भीतर लाक किया गया। लाक किये गये छात्र इन कंपनियों में आठ हफ्ते तक औपचारिक तौर पर इंटर्नशिप करेंगे।

आफर देने वाली प्रमुख कंपनियां

जेपी मोर्गन, गोल्डमैन साच्स, एनएम रोशचिल्ड, हिंदुस्तान यूनिलिवर, मैरिको, केस्ट्रोल, कोलगेट पामोलिव, नेसले, आईटीसी, एस्सार, आदित्य विरला ग्रुप, महिंद्रा एंड महिंद्रा, गोदरेज, भारती ग्रुप, कोका-कोला, डच बैंक, एचएसबीसी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड, आईसीआईसीआई बैंक, सिटीबैंक व एक्सिस बैंक।

Tuesday, November 17, 2009

राजनीति और अपना सरोकार

नमस्कार दोस्तों। दो बातें झारखंड की राजनीति व यहां के चौथे स्तंभ के संदर्भ में। पत्रकारिता के क्षेत्र में आए मुझे लगभग चार वर्ष हो रहे हैं, लेकिन इन चार वर्षों में मैने संविधान के चौथे स्तंभ को तथाकथित चौथा स्तंभ बनते देखा है। मेरे सीनियर अक्सर मुझे अपना अनुभव बताते-बताते कह जाते हैं कि आज पत्रकारिता, पत्रकारिता नहीं बल्कि चटुकारिता बन गया है। शायद ऐसा हो भी। लेकिन मै पूरी तरह से इस बात से सहमत नहीं हूं और न ही कभी रहूंगा। आद दुनिया बदल रही है और सारी चीजों का तेजी के साथ व्यवसायीकरण हो रहा है। पत्रकारिता जगत इससे अछूता नहीं। चूंकि समाचार पत्र की दुनिया में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ गई है, इसलिए इस क्षेत्र में भी व्यवसायिक पहलू का हावी होना लाजिमी है। ऐसे में अगर समाचार पत्र (मीडिया हाउस) अगर फायदे के लिए काम करता है तो क्या गलत करता है। क्योंकि अंततः मीडिया हाउस को सर्वाइव करने के लिए लाभ की रणनीति पर तो काम करना ही होगा। सोचने वाली बात यह कि अगर मीडिया हाउस लाभ की रणनीति पर काम न करे तो क्या आने वाले बीस वर्षों में समाचार पत्र का अस्तित्व टिक पाएगा। वह स्थिति में जब पंद्रह रुपये की लागत से प्रिंट होने वीले एक समचार पत्र को लगभग दस रुपये का हानी उठाकर चार से साढ़े चार रुपये में बाजार को उपलब्ध कराया जाता है। हालांकि यह मेरी अपना मत हो सकता है, लेकिन कहीं न कहीं इस मत का मतलब तो है। कम से कम उस नजरिये से देखने पर तो इसका मतलब बिल्कुल निकलता है, जिसमें यह समझने की कोशिश की जाए कि इन्हीं मीडीया हाउस पर आज हजारों लोगों का रोजगार निर्भर है। फिर यह तो अलग ही बात है कि बाबू दुनिया एक बाजार है और यहां सब बिकता है। आप न बिके तो न सही आपके नाम पर कोई और बिक जाएगा....। धन्यवाद आप सब विशेषजनों की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा। नमस्कार....

Sunday, November 8, 2009

सियासी अखाड़े में लगने लगी बोली

सियासी अखाड़े में 'बारगेन बाजार' की रंगत बढ़ने लगी है।



भादो माझी, जमशेदपुर-
नेता बोली लगा रहे हैं और 'डमी प्रत्याशी' अपना-अपना रेट तय कर रहे। वोट काटने की कीमत से लेकर मैदान छोड़ने तक का रेट सियासी सहूलियत के हिसाब से नाप-तौल कर लगाया जा रहा है।

नेताओं का यह 'बारगेन बाजार' इस बार खूब फल-फूल रहा है। पहले चरण में होने वाले चुनाव के लिए दाखिल किये गये नामांकन खुद इसकी तस्दीक करते हैं। एक-एक विधानसभा क्षेत्र से 26-26 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है। किसी ने जातीय समीकरण का कार्ड खेल कर चुनाव में अपनी अहमियत जताने की कोशिश की है, तो कोई दलीय समीकरण का हिसाब-किताब बैठा कर वोटों की कीमत मांग रहा है।

अब हम आपको बताते हैं नेताओं की इस बारगेन बाजार की 'मंडी' में होने वाले सौदे की हकीकत। दरअसल इस मंडी में वैसे प्रत्याशियों से बारगेनिंग (रुपयों की मांग) की जाती है जिनके चुनाव जीतने की संभावना ज्यादा होती है, या जो एक-दो नंबर पर आने के करीब दिखते हैं। यानी बोली लगाने वाले वे होते हैं जो चुनाव के गंभीर प्रत्याशी हैं, और बारगेनिंग करने वाले वैसे प्रत्याशी होते हैं जो सिर्फ और सिर्फ वोट काटने के लिए मैदान में उतरते हैं। गंभीर प्रत्याशियों के लक्ष्य वोटरों को जाति के आधार पर या पार्टी के आधार पर बांटने का भय दिखा कर ऐसे छोटे-मोटे प्रत्याशी चुनावी मौसम में ठीक-ठाक वसूली कर लेते हैं। अगर सौदा फिट हुआ तो अंतत: ऐसे प्रत्याशी नाम वापस ले लेते हैं, और अगर गंभीर प्रत्याशी ने भाव न दिया तो उनका वोट काटने के लिए मैदान में उतर जाते हैं।

इस बार के चुनाव में पहले चरण के लिए हुए धड़ा-धड़ नामांकन कुछ ऐसे ही बारगेन बाजार की ओर इशारा करते हैं। हालांकि इसमें 'पोलिटिस' भी होता है, योंकि गंभीर प्रत्याशी अपने प्रतिद्वंदियों को कमजोर करने के लिए ऐसे मौके पर करीबी प्रतिद्वंदी प्रत्याशी के जाति या उनकी पार्टी के विक्षुध को खुद फायनांस कर चुनावी मैदान में उतारते भी हैं। बहरहाल इस बार जमशेदपुर पश्चिमी से कुल 26 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है, जबकि पूर्वी से 22 व जुगसलाई से 13 प्रत्याशी मैदान में हैं। यह आंकड़ा पिछले विधानसभा चुनाव (05) में इस बार की तुलना में कम था। पिछले चुनाव में पश्चिमी से 14 प्रत्याशी थे, तो पूर्वी से 17 व जुगसलाई से 10 प्रत्याशी उतरे थे। चुनाव लड़ने या न लड़ने की बारगेनिंग के लिए फिलहाल पोटका सीट चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां एक बड़ी पार्टी के प्रत्याशी से बारगेन करने के लिए कुछ छिटपुट नेताओं ने खुला ऑफर दिया है।

नमस्कार दोस्तों

नमस्कार, अब तक मै पीडीएफ फाइल के जरिए ही आपसे जुड़ा हुआ था, लेकिन अब यूनिकोड के माध्यम से मै आपसे सीधे तौर पर शब्दों से जुड़ा रहूंगा।

poeitics drama


Wednesday, November 4, 2009

Saturday, October 31, 2009

rang de basanti


Wednesday, October 28, 2009

Friday, October 23, 2009

b-ware-school kid


Wednesday, October 14, 2009

Saturday, October 10, 2009

Friday, October 2, 2009

xlri news


My story on tribal culture





i am bhado majhi

जोहार, मेरा नाम भादो माझी है। मै झारखण्ड के पूर्वी सिंघभूम जिले के परसुडीह स्थित सरजामदा का रहने वाला हूँ। आजकल टेल्को मस रह रहा हूँ। मूल रूप से मै पोटका के धिरोल गाँव का हूँ।