जोहार
अवैध खनन की काली कमाई से तैयार हो रहा 'आतंक का औजार'
कोल्हान में धड़ल्ले से हो रहा अवैध खनन का 'धंधा' न सिर्फ सूबे के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। इस काले धंधे की काली कमाई का बड़ा हिस्सा 'आतंक के औजार' को धार देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। करोड़ों का यह अवैध कारोबार न सिर्फ उग्रवाद और अपराध जगत को वित्तपोषित कर रहा है, बल्कि आतंकवाद के लिए भी फंड मुहैया करा रहा है।
आतंक का पर्याय बने शहर में घटी हालिया आपराधिक घटनाएं कहीं न कहीं इसकी तस्दीक करतीं हैं। पुलिस के मनोबल को तोड़ने का जोखिम उठाते हुए हाल के दिनों में अपराध जगत ने आतंक का ऐसा साम्राज्य कायम करने का दुस्साहस किया कि हर तबका सोचने पर विवश हो गया। वहीं सारंडा (पश्चिमी सिंहभूम) समेत सिंहभूम के बड़े क्षेत्रफल में उग्रवाद का बढ़ता दबदबा भी फंड के लिहाज से पोषक साबित हो रहे इस काले धंधे से 'रेड जोन' तार जोड़ रहा है। अब तो केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी इस बाबत झारखंड सरकार को आगाह कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश की सुरक्षा पर खतरा साबित हो रहे ऐसे अवैध माइंस पर लगाम कसने के लिए सरकार को आवश्यक दिशा निर्देश दिये हैं। इंटेलिजेंस के हवाले से पिछले दिनों यह बात सामने आई कि कोल्हान के पश्चिमी सिंहभूम इलाके में चल रहे आयरन ओर के अवैध माइंस से हो रही काली कमाई का बड़ा हिस्सा आतंक फैलाने के लिए काम कर रहे संगठनों को वित्त मदद देने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। करोड़ों की इस कमाई से उग्रवाद, अपराध व आतंकवाद को मदद पहुंचाई जा रही है।
इंडियन ब्यूरों आफर माइंस द्वारा किये गये छापेमारी व निरीक्षण में भी यह बात सामने आ चुकी है कि झारखंड में अयरन और के अवैध कारोबार काफी फल-फुल रहा है। सिर्फ सिंहभूम से ही हर साल खनन व भूतत्व विभाग को राजस्व में 106 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है। जबकि पूरे राज्य में इसके कारण 600 करोड़ का नुकसान हो रहा है। इंडियन ब्यूरो आफ माइंस के मुताबिक देश में छह महीने में 21,457 अवैध माइंस का पता चला । सहज समझा जा सकता है कि इसका कारोबार कितना राजस्व हवा कर देता होगा। बात कोल्हान कि। यहां (नुआमुंडी) से हर रात अवैध तरीके से आयरन ओर लदे 5000 ट्रक निकलते हैं, जो पारादीप पोर्ट (उड़ीसा) के लिए रवना होते हैं। यही कारण है कि 09 दिसंबर में उड़ीसा स्टील व माइंस सचिव अशोक महादेव द्वारा एक पत्र लिख कर झारखंड माइंस एंड जियोलाजी सचिव से संयुक्त अभियान छेड़ कर आयरन और के अवैध कारोबार पर रोक लगाने के लिए चेकिंग पोस्ट लगाने हेतु सहयोग मांगा गया। इसमें दोनों राज्यों को सफलता मिली भी, लेकिन अवैध धंधा इतने से रुकने वाला नहीं था, सो अब भी बरकरार है। इस अभियान के दौरान झारखंड के समीवर्ती इलाके (उड़ीसा) में 128 अवैध माइंस को बंद कराया गया तो 400 से भी अधिक ऐसे स्थानों का पता चलाया गया जहां आयरन ओर अनलोड कर उनका काला धंधा किया जाता है।
चूंकि मुआमुंडी आयरन ओर का खजाना है, और मात्र यहों से प्रतिदिन 70000 टन आयरन ओर का ट्रांसपोर्ट होता है, इसलिए यहां इस अवैध कारोबार का सबसे बड़ा आकार होने की आशंका है।
झारखं में सरकार की दशा व दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाने वाले इस काले धंधे के संदर्भ में आपनी टिप्पणी आपेक्षित है।
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