Sunday, October 10, 2010
champai soren becom jharkhand minister
bhado majhi, jamshedpur : चंपई सोरेन के पिता सिमल सोरेन व माता माधो सोरेन को अपने बेटे को ज्यादा न पढ़ा पाने का मलाल है। पिता सिमल सोरेन बताते हैैं कि खेती-बाड़ी कर वे अपने बेटे को जितना पढ़ा सकते थे, उतना पढ़ाया। मैट्रिक तक पढ़ाने के बाद घर की आर्थिक स्थिति उस लायक नहीं थी कि उसे आगे की पढ़ाई कराई जाए, इसलिए खेती-बाड़ी में झोंक दिया। माता माधो सोरेन कहतीं हैं कि हालात ठीक होते तो बेटे को और पढ़ाती। पिता कहते हैैं -'चंपई को ज्यादा पढ़ाते-लिखाते तो भी वह जनता की सेवा करता, अब भी कर रहा है, यह हमारे लिए गर्व की बात है।Ó चंपई के पिता को इस बात के लिए भी गर्व है कि उसके बेटे ने अपने आप को अब भी किसान बनाए रखा है। सफलता के साथ उसके पैरों में पंख नहीं लगे और अब भी अपने गांव से उतना ही लगाव है जितना पहले था। चंपई की माता कहतीं हैैं कि चंपई की शादी कम उम्र में कर देनी पड़ी थी। इसलिए भी उसकी पढ़ाई लिखाई बाधित हुई, लेकिन आज वह जनता के लिए काम कर रहा है, इसपर हमें नाज है।
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