Wednesday, February 9, 2011

खरसावां में जीत हार के मायने

भादो माझी, खरसावां
लगातार राजनीतिक अस्थिरता से जूझते झारखंड के लिए खरसावां में जीत-हार के कई मायने हैं। यहां सवाल सिर्फ अर्जुन मुंडा या बाबूलाल मरांडी की जीत-हार का नहीं है। मजबूती से कदम बढ़ा रहे मुंडा जीते तो सरकारी मशीनरी को गति मिलेगी। लोकप्रिय सरकार तेजी से काम करेगी। अधूरी योजनाएं पूरी होंगी। राष्ट्रीय खेलों सरीखे कुछ प्रतिष्ठा परक काम होंगे। लेकिन यदि हारे तो..? इसका जवाब कठिन है।
खरसावां विधानसभा के मतदाता व गम्हरिया के नारायणपुर निवासी गम्हरिया प्रखंड के नारायणपुर के रवि चन्द्र महतो कहते भी हैं-मुंडा को विजयी बनाने से ही झारखंड की राजनीति में फिलहाल स्थिरता आयेगी। वरना फिर अनिश्चय की स्थिति। सरकारी मशीनरी ठप। जैसा कि जनसभा में केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहाय कहते भी हैं कि खरसावां की जनता ही इतिहास बनायेगी। स्थिरता का या कुछ और। हां, इतना होगा कि झाविमो का विधायक बल 11 से बढ़कर 12 हो जाएगा।
खरसावां सजग है। सलाइडीह निवासी बुधराम होनहागा कहते हैं- सड़क, बिजली और पानी से विकास की बात की जाती है। खरसावां में यह सब कुछ दिखता है। कुछ चीजें रह गई हैं लेकिन उसके लिए खरसावां के साथ पूरे राज्य का नेतृत्व बदल दिया जाए तो शायद फिर एक बार विकास का पहिया थम जाएगा। डोडा गांव इसकी तस्दीक भी करता है। राज्य बनने और यहां से मुख्यमंत्री का नेतृत्व मिलने से आकर्षणी से 10 किलोमीटर आगे सुदूर गांव में भी रात में रोशनी गुलजार दिखती है तो सड़के चमकती नजर आती हैं। डोडा गांव निवासी
सुशेन महतो कहते है-मुंडा ने विधायक रहते जितना काम किया उससे कहीं आगे बढ़ कर कल्याण मंत्री और मुख्यमंत्री रहते किया।
पड़ोस के सलाईडीह में बिजली आपूर्ति की तैयारी पूरी दिखती है। सलाईडीह निवासी गणेश बुड़ीउली के मुताबिक यहां बिजली आ जाए तो परेशानी ही खत्म हो जाए। सड़क बन गयी है बिजली भी आ ही जाएगी। लेकिन लाख टके का सवाल है सबके फायदे की बात समझ में किसे आयेगी?

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